चीन की शांति की बातें बेनकाब! चीन की सैन्य बिजली लाइनें अब गलवान तक पहुंचीं!

शांति समझौते के बावजूद चीन की सीमा पर गतिविधियाँ सतर्कता की मांग करती हैं

हालाँकि चीन ने भारत-चीन सीमा पर शांति समझौते और आपसी सैन्य वापसी के लिए सहमति जताई है, लेकिन उसकी लगातार होती बुनियादी ढांचे की गतिविधियाँ यह संकेत देती हैं कि भारत को अब भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने हिमालयी क्षेत्र में अपने अग्रिम चौकियों पर बिजली आपूर्ति को काफी हद तक उन्नत कर दिया है। यह उन्नत बिजली ढांचा चीन की सैन्य तैयारियों को बढ़ाने में सहायक हो सकता है, जिससे उन्नत हथियारों की तैनाती, सैनिकों की सुविधाएं और सैन्य उपकरणों के संचालन में आसानी होगी।

PLA डेली, जो कि चीनी सेना का आधिकारिक प्रकाशन है, के अनुसार, भारत से सटी सीमा के पास स्थित शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र और तिब्बत के नगारी प्रिफेक्चर की कई सीमा चौकियों पर बिजली आपूर्ति बढ़ा दी गई है।

सीमा क्षेत्रों में बिजली नेटवर्क का विस्तार

सीमा चौकियों के लिए विश्वसनीय बिजली नेटवर्क स्थापित करने का प्रयास 2016 में शुरू हुआ था। यह एक दीर्घकालिक परियोजना थी जिसे PLA ने चीन की राष्ट्रीय ऊर्जा प्रशासन के सहयोग से शुरू किया था। इस पहल का उद्देश्य सैन्य चौकियों को राष्ट्रीय बिजली नेटवर्क से जोड़ना था, ताकि दुर्गम और ऊँचाई वाले क्षेत्रों में लगातार बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

PLA डेली की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2024 तक 700 से अधिक सीमा चौकियों को इस राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ दिया गया था। यह बताया गया कि इस बढ़ी हुई बिजली आपूर्ति से न केवल सैनिकों की संचालन क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि सीमा प्रबंधन में सुधार और तैनात जवानों की जीवन गुणवत्ता में भी महत्वपूर्ण सुधार होगा।

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सैनिकों के लिए ऑक्सीजन सुविधा

बिजली के अलावा, PLA ने ऊँचाई वाले कठिन इलाकों में तैनात सैनिकों के स्वास्थ्य समर्थन को बेहतर बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इस वर्ष की शुरुआत में PLA डेली ने बताया था कि तिब्बती पठार के कई क्षेत्रों में लगातार ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। इसके लिए विशेष ऑक्सीजन जोन भी बनाए गए हैं। ये सुविधाएं कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में सैनिकों की तैनाती को सुचारु बनाने में मदद करती हैं।

नगारी क्षेत्र, जो भारत की सीमा के निकट है और खनिज संसाधनों से समृद्ध माना जाता है, अब अपनी सामरिक महत्ता के साथ बिजली कनेक्शन के चलते और अधिक महत्वपूर्ण बन गया है। इसी तरह ज़ैदुल्ला क्षेत्र — जो लगभग 3,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अक्साई चिन व गलवान घाटी के निकट है — वहाँ भी चीन द्वारा लगातार बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है। यहीं 2020 में भारत-चीन के बीच घातक झड़प हुई थी, जिसमें कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।

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